करीब सात-आठ महीने पहले आदरणीय नरेश कुमार जगत सर के हाइकु सुगंध समूह से जुड़ी थी।
पहले सोचा हाइकु क्या है? बस पाँच-सात-पाँच के क्रम में अपनी बात कह देना।
पर यहाँ आकर पता चला! नहीं मैं ग़लत थी!यह विधा उतनी आसान नहीं थी जितना आसान मैं समझ रही थी।
यहाँ नियम भी बहुत अलग थे।दो स्वतंत्र बिम्ब, दोहराव नहीं और शब्दों का बिखराव नहीं, एक पल की अनुकृति होना चाहिए। हाइकु में प्राकृतिक बिम्ब अनिवार्य है। इसके बिना रचना अधूरी है। मौसम में बदलाव,ध्वनि या समय को दिखाते हुए 'आह' व 'वाह' के दृश्य बनाकर अपनी बात कहना।
तुलना, मानवीयकरण,से बचते हुए यथार्थ पर ठोस बिम्ब का निर्माण करना। उपमा का कोई स्थान नहीं, वर्तमान पर हाइकु लेखन करना। दोनों बिम्ब के विभाजन के लिए कटमार्क (~) का प्रयोग करना। कारण फल से बचना।आपके दोनों बिम्ब के बीच 'क्या और क्यों' कारण फल पैदा कर सकता है।विशेषण मान्य नहीं, हाइकु में कथन की भी कोई जगह नहीं है। हमें बिम्ब के जरिए दृश्य दिखाना रहता है।
हाइकु!कम शब्दों में बड़ी बात कहना!यानि गागर में सागर भरने जैसा है।
हाइकु लेखन देखने में बहुत छोटी विधा है मगर कम शब्दों में बड़ी बात कह जाती है।
यहाँ आदरणीय संजय कौशिक'विज्ञात'जी के बारे में बताने जा रही हूँ!
गुड़ का कोल्हू~
आँच पे कड़ाही में
गन्ने का रस।
यहाँ विज्ञात जी की रचना का पहला बिम्ब है। *गुड़ का कोल्हू* बिना कैमिकल के हाथ से बने गुड़ के बारे में बताया गया है।जिसे बनाते समय लगातार गोल-गोल घुमाना पड़ता है। ठीक वैसे ही जैसे रस निकालते समय कोल्हू गोल-गोल घुमता रहता है।
*आँच पे कड़ाही में*
*गन्ने का रस।*
दूसरे बिम्ब में गन्ने के रस को आँच पर पकाते समय का दृश्य दिखाया जा रहा है।किस प्रकार गन्ने के रस को आँच पर पकाकर शुद्ध देसी गुड़ बनाया जा रहा है। आदरणीय विज्ञात सर का यह हाइकु बहुत सुंदर है।
आदरणीय संजय कौशिक'विज्ञात' जी का ही एक और हाइकु है।
मक्खन पिंडी ~~
हाथ में नेती पैर
मटकी पर
संजय कौशिक 'विज्ञात'
*मक्खन पिंड़ी* आपने अक्सर देखा होगा,जब मक्खन निकाला जाता है तो माँ उससे मट्ठे की एक-एक बूँद निकालने के लिए उसे हाथ में घुमा-घुमाकर पिंडी का आकार देती रहती है।
*हाथ में नेती पैर*
*मटकी पर।*
जब मक्खन निकाला जाता है तो मटकी में रखे दही को ताकत से मथने के लिए महिलाएं मटके को पैर लगाकर रखती है ताकि वो अपनी जगह से न हिले। और वे हाथों में पकड़े रस्सी से उसे जोर-जोर से मथ सकें। आदरणीय विज्ञात जी ने यही दृश्य अपने हाइकु के माध्यम से बताने का प्रयास किया है।
हाइकु में हम अपने आस-पास घटती घटनाओं को कम शब्दों में बयां करके अपने पाठकों तक पहुँचा सकते हैं। हाइकु में जो भी सीखा वो आपके सामने है। अभी भी सीख ही रही हूँ।बस यही कहूँगी!
कारण फल से दूर हो,हाइकु का यह सार।
कल्पना बिना सीखिए,करके सोच विचार।
करके सोच विचार,कथन से दूरी रखना।
आह के पल अपार,वाह का फल भी चखना।
कहती अनु सुन बात,वर्ण सत्तरह उच्चारण।
अनुकृति हो पल एक, बिम्ब रचना बिन कारण।
बस यही सारी बातों को ध्यान रखकर हमें हाइकु लेखन को और भी दिलचस्प बना सकते हैं।
एक और देखते हैं...
रात में झंझा~
तापमापक पर
टपका आँसू।
हाइकुकार--अनंत पुरोहित जी
यहाँ रचनाकार ने अपने हाइकु के माध्यम से रात्रि प्रहर में घटी घटना का चित्रण किया है।
*रात में झंझा~*
पूर्णतः प्राकृतिक बिम्ब है। इस बिम्ब के जरिए हाइकुकार ने *रात में आई भीषण आँधी का ज़िक्र किया है।* जिसमें किसी का भी बाहर निकल पाना मुश्किल होता है।
फिर दूसरा बिम्ब लिया है।
*तापमापक पर*
*टपका आँसू।*
अब आप सोचेंगे.. तापमापक पर आँसू..? इसमें ख़ास बात क्या है।अब यहाँ हाइकुकार ने तापमापक (थर्मामीटर) का ज़िक्र किया है।तो कुछ तो ख़ास होगा। *इस हाइकु में हमें मानसिक बोधगम्य की झलक देखने को मिलती है* वो यह कि रात्रि प्रहर में घर का कोई सदस्य का बदन तेज बुखार से तप रहा है। तीव्र आँधी की वजह से उसे चिकित्सकीय लाभ नहीं मिल पा रहा है।इस कारण तापमापक में बुखार की तीव्रता देखकर,आँख में आँसू छलककर तापमापक पर टपक गया।इसी मानसिक पीड़ा को हाइकुकार ने अपने हाइकु में दिखाकर भरपूर *आह* के क्षण भरे हैं।यह हाइकु अपने आप में एक बेहतरीन हाइकु है ।हाइकुकार अपने भाव को दिखाने में पूर्णतः सक्षम हुए हैं।
रचनाकार-अनुराधा चौहान
इतने सारे नियमों को ध्यान में रखकर और इतनी मेहनत से लिखे गये एक छोटे से हाइकु को कुल कितने लोग लाइक और कमेंट करने वाले हैं..??
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय, लाइक और कमेंट करने के लिए कोई बाध्य नहीं है।यह मेरा अनुभव है जो मैंने यहाँ साझा किया है।🙏
Deleteवाह दीदी कितने अच्छे से अपने बताया है,,, अपने इससे पहले भी मुझे बताया था पर शायद मैं इतना ज्ञानी नही,,, मैं ये विधा नही लिख सका,,, पर आप कमाल की लिखती है,,, बहुत खूब और धन्यवाद ।
ReplyDeleteधन्यवाद शैलेश भाई
Deleteवाह !आदरणीया दीदी बहुत ही सुंदर जानकारी के साथ बहुत ही प्रभावी लेख लिखा है आप ने
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएँ 🌹
धन्यवाद बहना 🌹
Deleteकारण फल से दूर हो,हाइकु का यह सार।
ReplyDeleteकल्पना बिना सीखिए,करके सोच विचार।
करके सोच विचार,कथन से दूरी रखना।
आह के पल अपार,वाह का फल भी चखना।
कहती अनु सुन बात,वर्ण सत्तरह उच्चारण।
अनुकृति हो पल एक, बिम्ब रचना बिन कारण।
वाह!!!
हायकु लेखन के नियम पर लाजवाब कुण्डलियाँ के साथ हायकु सफर की सुन्दर ब्याख्या...।
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत ही सटीक व सारगर्भित आदरणीया ।बधाई
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteअनुराधा जी आपके अनुभव लाजवाब हैं हाइकु से संबंधित आपकी यह पोस्ट अनुपम और संग्रहणीय है । हाइकु से संबंधित 'अनु की कुंडली' सारगर्भित व बेहतरीन लगी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी 🌹
Deleteअनुराधा जी आपने हाइकु विधा को बहुत अच्छे आत्मसात कर लिया है,लेकिन मैं बहुत प्रयास करती हू। की नया हाइकु लिखूं लेकिन शायद कल्पनाओं के लोक में मेरा विचरण ज्यादा होता है ,में लिखते - लिखते वहीं पहुंच जाती हूं
ReplyDeleteहार्दिक आभार ऋतु जी
Deleteआपका अनुभव और समीक्षा सह उदाहरण दोनों बहुत सुंदर है....हाइकु में इसी तरह आप निरंतर अच्छा सीखती और सिखाती रहें यही कामना 🙏🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteलाजवाब प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर व्याख्या 👌👌👌 सरल शब्दों में लिखा अच्छा लेख 👌👌👌नवांकुर के लिए हाइकु समझने में निःसंदेह लाभदायक सिद्ध होगा, बधाई 💐💐💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteहाइकु का सफर लिए कुंडलियां रंग सोने पर सुहागा 👌👌👌👌बहुत सुंदर व्याख्या मेरे हाइकु का सफर आपके मार्गदर्शन में प्रारम्भ हुआ और मुझे खुशी है कि समय समय पर आपके लेख हमारा मार्गदर्शन करते हैं आभार आदरणीया 🙏🙏🙏🌷🌷🌷
ReplyDeleteहार्दिक आभार पूजा 🌹
Deleteवाह सखी, बहुत ही सुगम तरीके से उत्तम उदाहरण देते हुए आपने हाइकु विधा के बारे में समझाया है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत ही सटीक,सहज एवम् बोधगम्य शैली।बहुत खूब आदरणीया एवम् आपको सहृदय धन्यवाद हम तक ये जानकारी सुगम तरीके से पहुँचाने के लिए।सादर आभार एवम् आशीषेच्छुक🙇🙇💐💐🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार दीपिका जी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार राधा जी
Deleteशायर शायरी पसंद करता है और कवि शिल्प और विधान से लिखा गया लेख...
ReplyDeleteआपने विधाध और शिल्प का अनुपम हाइकु को समझा और सरल शब्दों में सुंदर व्याख्या किये आदरणीया... बधाई हो 💐💐💐
हार्दिक आभार आदरणीय 🙏
Deleteबहुत बहुत सुन्दर जानकारी उपलब्ध कराई आपने सखी👏👏👏👏👏👏और आपके अनुभव से आशा करती हूँ कि सभी लाभान्वित होंगे।बहुत शानदार समीक्षा 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteसंग्रहणीय योग्य लेख..बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteसटीक और सार्थक प्रस्तुती।
ReplyDeleteडाॅ. रुनू बरुवा 'रागिनी तेजस्वी'
हार्दिक आभार आदरणीया
Deleteहाइकु संसार की नयनाभिराम झांकी प्रस्तुत करदी आपने सरल सहज सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत ही सुंदर व्याख्या हाइकु की.... और उतनी ही सरस कुंडली 👌👌🙏
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