Monday 2 March 2020

अनुराधा जी के विचार, हाइकु के प्रति...

करीब सात-आठ महीने पहले आदरणीय नरेश कुमार जगत सर के हाइकु सुगंध समूह से जुड़ी थी।
पहले सोचा हाइकु क्या है? बस पाँच-सात-पाँच के क्रम में अपनी बात कह देना।
पर यहाँ आकर पता चला! नहीं मैं ग़लत थी!यह विधा उतनी आसान नहीं थी जितना आसान मैं समझ रही थी। 
यहाँ नियम भी बहुत अलग थे।दो स्वतंत्र बिम्ब, दोहराव नहीं और शब्दों का बिखराव नहीं, एक पल की अनुकृति होना चाहिए। हाइकु में प्राकृतिक बिम्ब अनिवार्य है। इसके बिना रचना अधूरी है। मौसम में बदलाव,ध्वनि या समय को दिखाते हुए 'आह' व 'वाह' के दृश्य बनाकर अपनी बात कहना।
तुलना, मानवीयकरण,से बचते हुए यथार्थ पर ठोस बिम्ब का निर्माण करना। उपमा का कोई स्थान नहीं, वर्तमान पर हाइकु लेखन करना। दोनों बिम्ब के विभाजन के लिए कटमार्क (~) का प्रयोग करना। कारण फल से बचना।आपके दोनों बिम्ब के बीच 'क्या और क्यों' कारण फल पैदा कर सकता है।विशेषण मान्य नहीं, हाइकु में कथन की भी कोई जगह नहीं है। हमें बिम्ब के जरिए दृश्य दिखाना रहता है।
हाइकु!कम शब्दों में बड़ी बात कहना!यानि गागर में सागर भरने जैसा है।
हाइकु लेखन देखने में बहुत छोटी विधा है मगर कम शब्दों में बड़ी बात कह जाती है।
यहाँ आदरणीय संजय कौशिक'विज्ञात'जी के बारे में बताने जा रही हूँ!

गुड़ का कोल्हू~
आँच पे कड़ाही में
गन्ने का रस।

यहाँ विज्ञात जी की रचना का पहला बिम्ब है। *गुड़ का कोल्हू*  बिना कैमिकल के हाथ से बने गुड़ के बारे में बताया गया है।जिसे बनाते समय लगातार गोल-गोल घुमाना पड़ता है। ठीक वैसे ही जैसे रस निकालते समय कोल्हू गोल-गोल घुमता रहता है।
*आँच पे कड़ाही में*
*गन्ने का रस।*
दूसरे बिम्ब में गन्ने के रस को आँच पर पकाते समय का दृश्य दिखाया जा रहा है।किस प्रकार गन्ने के रस को आँच पर पकाकर शुद्ध देसी गुड़ बनाया जा रहा है। आदरणीय विज्ञात सर का यह हाइकु बहुत सुंदर है।

आदरणीय संजय कौशिक'विज्ञात' जी का ही एक और हाइकु है।

मक्खन पिंडी ~~ 
हाथ में नेती पैर 
मटकी पर 
 
संजय कौशिक 'विज्ञात'

*मक्खन पिंड़ी* आपने अक्सर देखा होगा,जब मक्खन निकाला जाता है तो माँ उससे मट्ठे की एक-एक बूँद निकालने के लिए उसे हाथ में घुमा-घुमाकर पिंडी का आकार देती रहती है।

*हाथ में नेती पैर*
*मटकी पर।*

जब मक्खन निकाला जाता है तो मटकी में रखे दही को ताकत से मथने के लिए महिलाएं मटके को पैर लगाकर रखती है ताकि वो अपनी जगह से न हिले। और वे हाथों में पकड़े रस्सी से उसे जोर-जोर से मथ सकें। आदरणीय विज्ञात जी ने यही दृश्य अपने हाइकु के माध्यम से बताने का प्रयास किया है।

हाइकु में हम अपने आस-पास घटती घटनाओं को कम शब्दों में बयां करके अपने पाठकों तक पहुँचा सकते हैं। हाइकु में जो भी सीखा वो आपके सामने है। अभी भी सीख ही रही हूँ।बस यही कहूँगी!

कारण फल से दूर हो,हाइकु का यह सार।
कल्पना बिना सीखिए,करके सोच विचार।
करके सोच विचार,कथन से दूरी रखना।
आह के पल अपार,वाह का फल भी चखना।
कहती अनु सुन बात,वर्ण सत्तरह उच्चारण।
अनुकृति हो पल एक, बिम्ब रचना बिन कारण।

बस यही सारी बातों को ध्यान रखकर हमें हाइकु लेखन को और भी दिलचस्प बना सकते हैं।

एक और देखते हैं...

रात में झंझा~
तापमापक पर
टपका आँसू।
हाइकुकार--अनंत पुरोहित जी

यहाँ रचनाकार ने अपने हाइकु के माध्यम से रात्रि प्रहर में घटी घटना का चित्रण किया है।
*रात में झंझा~*
पूर्णतः प्राकृतिक बिम्ब है। इस बिम्ब के जरिए हाइकुकार ने  *रात में आई भीषण आँधी का ज़िक्र किया है।*  जिसमें किसी का भी बाहर निकल पाना मुश्किल होता है।
फिर दूसरा बिम्ब लिया है।
*तापमापक पर*
*टपका आँसू।*
अब आप सोचेंगे.. तापमापक पर आँसू..? इसमें ख़ास बात क्या है।अब यहाँ हाइकुकार ने तापमापक (थर्मामीटर) का ज़िक्र किया है।तो कुछ तो ख़ास होगा। *इस हाइकु में हमें मानसिक बोधगम्य की झलक देखने को मिलती है* वो यह कि रात्रि प्रहर में घर का कोई सदस्य का बदन तेज बुखार से तप रहा है। तीव्र आँधी की वजह से उसे चिकित्सकीय लाभ नहीं मिल पा रहा है।इस कारण तापमापक में बुखार की तीव्रता देखकर,आँख में आँसू छलककर तापमापक पर टपक गया।इसी मानसिक पीड़ा को हाइकुकार ने अपने हाइकु में दिखाकर भरपूर *आह* के क्षण भरे हैं।यह हाइकु अपने आप में एक बेहतरीन हाइकु है ।हाइकुकार अपने भाव को दिखाने में पूर्णतः सक्षम हुए हैं।

रचनाकार-अनुराधा चौहान

37 comments:

  1. इतने सारे नियमों को ध्यान में रखकर और इतनी मेहनत से लिखे गये एक छोटे से हाइकु को कुल कितने लोग लाइक और कमेंट करने वाले हैं..??

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    1. धन्यवाद आदरणीय, लाइक और कमेंट करने के लिए कोई बाध्य नहीं है।यह मेरा अनुभव है जो मैंने यहाँ साझा किया है।🙏

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  2. वाह दीदी कितने अच्छे से अपने बताया है,,, अपने इससे पहले भी मुझे बताया था पर शायद मैं इतना ज्ञानी नही,,, मैं ये विधा नही लिख सका,,, पर आप कमाल की लिखती है,,, बहुत खूब और धन्यवाद ।

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    1. धन्यवाद शैलेश भाई

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  3. वाह !आदरणीया दीदी बहुत ही सुंदर जानकारी के साथ बहुत ही प्रभावी लेख लिखा है आप ने
    बधाई एवं शुभकामनाएँ 🌹

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  4. कारण फल से दूर हो,हाइकु का यह सार।
    कल्पना बिना सीखिए,करके सोच विचार।
    करके सोच विचार,कथन से दूरी रखना।
    आह के पल अपार,वाह का फल भी चखना।
    कहती अनु सुन बात,वर्ण सत्तरह उच्चारण।
    अनुकृति हो पल एक, बिम्ब रचना बिन कारण।
    वाह!!!
    हायकु लेखन के नियम पर लाजवाब कुण्डलियाँ के साथ हायकु सफर की सुन्दर ब्याख्या...।

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  5. बहुत ही सटीक व सारगर्भित आदरणीया ।बधाई

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  6. अनुराधा जी आपके अनुभव लाजवाब हैं हाइकु से संबंधित आपकी यह पोस्ट अनुपम और संग्रहणीय है । हाइकु से संबंधित 'अनु की कुंडली' सारगर्भित व बेहतरीन लगी ।

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    1. हार्दिक आभार सखी 🌹

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  7. अनुराधा जी आपने हाइकु विधा को बहुत अच्छे आत्मसात कर लिया है,लेकिन मैं बहुत प्रयास करती हू। की नया हाइकु लिखूं लेकिन शायद कल्पनाओं के लोक में मेरा विचरण ज्यादा होता है ,में लिखते - लिखते वहीं पहुंच जाती हूं

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    1. हार्दिक आभार ऋतु जी

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  8. आपका अनुभव और समीक्षा सह उदाहरण दोनों बहुत सुंदर है....हाइकु में इसी तरह आप निरंतर अच्छा सीखती और सिखाती रहें यही कामना 🙏🙏🙏

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  9. बहुत सुंदर व्याख्या 👌👌👌 सरल शब्दों में लिखा अच्छा लेख 👌👌👌नवांकुर के लिए हाइकु समझने में निःसंदेह लाभदायक सिद्ध होगा, बधाई 💐💐💐

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  10. हाइकु का सफर लिए कुंडलियां रंग सोने पर सुहागा 👌👌👌👌बहुत सुंदर व्याख्या मेरे हाइकु का सफर आपके मार्गदर्शन में प्रारम्भ हुआ और मुझे खुशी है कि समय समय पर आपके लेख हमारा मार्गदर्शन करते हैं आभार आदरणीया 🙏🙏🙏🌷🌷🌷

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    1. हार्दिक आभार पूजा 🌹

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  11. वाह सखी, बहुत ही सुगम तरीके से उत्तम उदाहरण देते हुए आपने हाइकु विधा के बारे में समझाया है।

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  12. बहुत ही सटीक,सहज एवम् बोधगम्य शैली।बहुत खूब आदरणीया एवम् आपको सहृदय धन्यवाद हम तक ये जानकारी सुगम तरीके से पहुँचाने के लिए।सादर आभार एवम् आशीषेच्छुक🙇🙇💐💐🙏🙏

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    1. हार्दिक आभार दीपिका जी

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    1. हार्दिक आभार राधा जी

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  14. शायर शायरी पसंद करता है और कवि शिल्प और विधान से लिखा गया लेख...
    आपने विधाध और शिल्प का अनुपम हाइकु को समझा और सरल शब्दों में सुंदर व्याख्या किये आदरणीया... बधाई हो 💐💐💐

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय 🙏

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  15. बहुत बहुत सुन्दर जानकारी उपलब्ध कराई आपने सखी👏👏👏👏👏👏और आपके अनुभव से आशा करती हूँ कि सभी लाभान्वित होंगे।बहुत शानदार समीक्षा 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  16. संग्रहणीय योग्य लेख..बहुत बढ़िया।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  17. सटीक और सार्थक प्रस्तुती।
    डाॅ. रुनू बरुवा 'रागिनी तेजस्वी'

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  18. हाइकु संसार की नयनाभिराम झांकी प्रस्तुत करदी आपने सरल सहज सुंदर।

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  19. बहुत ही सुंदर व्याख्या हाइकु की.... और उतनी ही सरस कुंडली 👌👌🙏

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