Friday 14 August 2020

काल्पनिक पात्र पर विशेष चर्चा...

आ. Jaishree Panda जी:

विधा : हाइबन

     आज मैं आप लोगों को जो बताने  जा रही हूं वह सत्य  व आश्चर्यजनक घटना है, परन्तु आज के वैज्ञानिक युग में यह बात   विश्वास से परे है परन्तु सत्य है।‌‌।
                  आज से लगभग 8-10 साल पहले की बात है जब भैया महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक के एक छोटे से गांव "कनकेवा" में रहते थे। जेठ का महीना था।भयंकर गर्मी थी शाम को नहाए बिना रहा नहीं जा रहा था। एक दिन भैया किसी काम की वजह से शाम को तलाब नहाने नहीं जा सके और रात हो गई।करीब 9-9:30 बज गए। और गर्मी की वजह से बिना नहाए रहा भी नहीं जा रहा था इसलिए वे तलाब की ओर चल पड़े।तभी रास्ते में उन्हें एक-दो वयोवृद्ध जो बाहर बैठे थे उन्होंने मना किया कि इतनी रात को तलाब न जाएं। पर भैया को भूत-प्रेत पर विश्वास नहीं था इसलिए वे नहीं माने।जब वो तलाब पहुंचे तब वहां एक-दो लोग पहले से मौजूद थे।जो नहा चुके थे और वापस आ गए । फिर भैया तलाब में अकेले हो गए । फिर हुआ यूं कि उन्हें दूर तालाब के बीचों बीच एक बड़ा जानवर सा दिखाई दिया। वो फिर भी नहीं  डरे और नहाने काउपक्रम करने  लगे फिर क्या था बड़ा सा जानवर तुरंत उनके पास आकर खड़ा हो गया और अचानक ही उनके मुंह से एक डरावनी चीख निकल गई। और वो बिना नहाए ही वापस आ गए।दूसरे दिन जैसे ही यह बात गांव वालों को पता चली सबने कहा कि हम आपको इसलिए रात को जाने से मना कर रहे थे । तालाब में महिषासुर रहता है।  ‌‌

अर्द्ध यामिनी~
सरोवर पे खड़ा
महिषासुर

जयश्री पंडा

आ.Kumkum Purohit जी: 👌👌 सत्य घटना पर रचित बेहतरीन हाइबन

आ.Jagat Naresh जी: गद्यांश में धार्मिक झलक रहा है आदरणीया 
: जी ये सत्य हो सकता है। बेहतरीन संस्मरण का समावेश हाइबन में : परंतु यहाँ अर्द्ध यामिनी उपयुक्त नहीं लग रहा : आपके गद्यांश कुछ और ही कह रहा है

आ. Jaishree Panda: जी।प्रदोष काल करें क्या

आ. ममता जी: मैं तो पढकर ही डर गयी और सामने कोई ऐसे आता है तो पर सुना हुआ है रात को नदी तालाब मे नही जाना चाहिए

आ.Jaishree Pandaजी: जी अर्ध्द यामिनी को कोई  सरोवर पे कोई नजर नहीं आएगा। जी सखी।ये बिल्कुल सत्य घटना है।

आ. Runu G: अद्भुत 👌👏👆👏

आ.Jaishree Panda जी: आभार सखी

आ. Deepali जी: ऐसा भी होता है।पढ़कर डर लगा

आ. ममता जी: वो बच गये यह एक बहुत बड़ी बात है अन्यथा वहां इतनी रात कोई होता है जो पैर खिंच लेता है यह भी सही बात कहती हूं

आ.Jagat Naresh जी: क्षमा... महिषासुर काल्पनिक है। परंतु सभी के मान्यतानुसार विचार-विमर्श के पश्चात् इस कृति पर निर्णय लेंगे।

आ. ममता जी: हां महिषासुर नही होता है बहुत लोग प्रेत व जिन्न का नाम भी नही लेना चाहते है शायद
आ. Runu G: अरे हाँ .... काल्पनिक बात पर तो ध्यान ही नहीं गया! यह मान्य नहीं है न!
आ.Jaishree Panda जी: जी आदरणीय।पर ये गाँव वालों द्वारा दिया गया नाम है।
आ. Jagat Naresh जी: जी आदरणीया... यदि हम सभी इस तथ्य से परिचित हैं तो मान्य दे सकते हैं। क्योंकि सच्चाई छुपाने से हम प्रकृति से जुड़े सभी तथ्य सामने नहीं ला पायेंगे। इसके बारे में आप सभी लिखें कि इसको अंधविश्वास करार देकर वास्तविकता से मुँह क्यों मोड़ा जाता है।

आ. ममता जी: यह अंधविश्वास नही है क्योकि इस तरह की दुसरी घटना हुई है असम के तिनसुकिया मे

आ. Runu Barua जी: सर्वप्रथम 'हाइबन 'में कल्पना का क्या स्थान है, स्पष्ट कीजिए ।
दूसरे  ' महिषासुर ' काल्पनिक पात्र है या धार्मिक लौकिक कथा का पात्र । यह सब शोध का विषय है । अतः ऐसी स्थिति में रचना को हाइबन में स्थान मिलेगा या  नही! मेरी  समझ में अगर राम, कृष्ण,  सीता को आप हाइबन में स्थान देते है तो महिषासुर को भी दीजिए ।

आ. Jaishree Panda जी: इसे महिषासुरकहें,ब्रह्म राक्षस कहें,भूत पिशाच कहें याकुछ और।।। घटना तो सत्य है।बाकी सभी गुणी जन जैसा उचित समझें।

आ. Jagat Naresh जी: हाइबन में दो भाग हैं। एक गद्य और दूसरा पद्य... गद्य में सभी अलंकार (धार्मिक छोड़कर) मान्य हैं। जबकि पद्य में नहीं।

आ. Anant Purohit जी: यह महिषासुर और जेएनयू के महिषासुर में अंतर है आदरणीया 

रही बात हाइबन में स्थान मिले या न मिले उपरोक्त गाँव के लोग उसे महिषासुर ही कहते हैं।

आ. Runu Barua जी: अर्थात गद्य में विषय को समझाने हेतु कल्पना, मानवीय करण,  अलंकार मान्य है परन्तु पद्य में नहीं । इसे आप हाइकु से जोड़ कर देख सकते है । हाइकु में भी यहीं प्रतिबंध है। अतः पद्य और गद्य को लिखते समय इन तत्वों को ध्यान में रखना उचित होगा ।

आ. Jagat Naresh जी : इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए, अंतिम फैसले तक लेने में सहयोग करें
 
आ. Anupama Agrawal जी : सत्य घटना पर आधारित एक बहुत ही सुन्दर कृति है ये।परंतु इसके पद्यांश में  मुझे दो बातें खटक रही हैं।एक तो समय।जैसा कि गद्य में बताया गया है उसके अनुसार रात्रि 9 -9:30 का समय प्रदोष काल नहीं कहलाता है।उसके स्थान पर यदि हम *रात्रि आरंभ* या फिर *ग्रीष्म निशीथ* ऐसा कुछ करें तो संभवतः ज्यादा उचित होगा।
और दूसरी विसंगति जो नज़र आ रही है वो है *महिषासुर* शब्द का पद्य में प्रयोग।भले ही स्थानीय लोग उसे इसी नाम से जानते हों परंतु महिषासुर एक काल्पनिक पात्र है और कल्पना हाइकु के नियमांतर्गत मान्य नहीं है।अतः मेरे विचार से यदि हम पद्य में इस शब्द के प्रयोग से बचें और उसके स्थान पर *विशाल जीव*  शब्द का प्रयोग करें तो???

आ. Jagat Naresh जी : ये भी तो अस्पष्ट होगा... विशाल जीव 

आ. Anupama Agrawal जी : लेकिन सर गद्य में लिखा गया है *बड़ा सा जानवर*

आ. Anant Purohit जी : अज्ञात जीव
ऐसा करें तो आदरणीय और अज्ञात जीव को महिषासुर कहते हैं क्षेत्रीय लोग यह गद्य में स्पष्ट है

आ. Anupama Agrawal जी : ये भी किया जा सकता है या फिर
 *पशु आकृति*??

आ. Jagat Naresh जी : जी ये गद्य में है और अनुमानित है

आ. Anupama Agrawal जी : सर! मेरे विचार से एक विशालकाय आकृति वहाँ थी ये तो सत्य है ये तो अनुमानित नहीं है।और जीव शब्द का प्रयोग किसी के लिये भी हो सकता है तो संभवतः गलत तो नहीं होना चाहिये।शेष जैसा आप सबको उचित लगे

आ. Kumkum Purohit जी : जी वैसे तो महिषासुर काल्पनिक पात्र ही माना जाएगा पंरतु उस स्थान मै (कनकेवा) जंहा यह घटना घटित हुई है इसे महिषासुर नाम से ही जाना जाता है।इस प्रकार का जीव हमारे आदरणीय पुरोहित जी ने कभी देखा नही था, तो हम भी यही मानना पड़ा कि हो न हो वो वही महिषासुर ही होगा ।अन्य किसी विशाल जीव का नामकरण इस कृति में  सही नही लगता।

आ. Jagat Naresh जी : *बड़ा जानवर* और *बड़ा सा जानवर* के बीच यही तो एक फर्क है। एक स्पष्ट है और दूसरा अनुमान

आ. Kumkum Purohit जी : एक सुझाव है ,यदि ब्रह्म राक्षस किया जाए तो, क्योंकि उस स्थान में  कुछ  लोगों ने उस जीव को ब्रह्म राक्षस के नाम से भी पहचाना 

आ. Anant Purohit जी : बहुत विशालकाय थी या नहीं भैया ही बताएँगे, वही भुक्तभोगी हैं इस घटना के

परंतु विचित्र जरूर था वह जीव

आ. Jagat Naresh जी : जी विचित्र तो जरुर रहा होगा और अस्पष्ट भी।

आ. Khirod Purohit जी : हा रहस्यमयी घटना थीं। विशालकाय जीव जैसा था कुछ। उस दिन जितना नहीं डरा था  अब उसकी समीक्षा से ज्यादा डर लग रहा है ।
आ. Jagat Naresh जी : ये प्रत्यक्ष देखा गया दृश्य है तो विचारणीय है कि देवी-देवता कोई काल्पनिक नहीं हैं। है तो सत्य पर उसकी व्याख्यान में वास्तविकता का प्रमाण कैसे दे सकते हैं।
         अर्थात् इस महिषासुर को कैसे स्पष्ट किया जा सकता है ?
एक सुझाव...

प्रदोष अंत --
तालाब में विशाल
अज्ञात जीव।

आ. Kumkum Purohit जी : 👌👌
आ. Abhilasha जी : 👌👌👌

आ. Jagat Naresh जी : आप सबके सुझाव अनुसार शायद ये ठीक बन गया है।

आ. Abhilasha जी : जी आदरणीय भाव गद्य के अनुकूल है।

आ. Jagat Naresh जी : तो अब आ. पंडा जी से निवेदन है कि उनके भाव अगर इस संशोधन में आ रहे हैं और सहमत हैं तो संशोधित कर पुनः प्रेषित करें।

आ. Jagat Naresh जी : आगे चर्चा आरंभ करते हैं...

उपरोक्त विषय में हमने वास्तविकता का दर्शन किया और मान्यतानुसार महिषासुर को आज भी आ. क्षीरोद्र के माध्यम से प्रत्यक्ष पाया। तो क्या अब यह काल्पनिक है।

मैं चाहुँगा कि प्रकृति के ऐसे सभी घटनाएँ जो वास्तव में हमारे बीच यदा कदा घटते रहते हैं उसे सामने लाकर प्रमाण प्रस्तुत किये जायें और यह कल्पना मात्र नहीं अपितु एक सच्चाई है। इसे देश दुनिया के सामने लाकर वास्तविकता से परिचित कराया जाए। ताकि प्रकृति के एक-एक अंग से कोई अनभिज्ञ न रहे।

आ. Kumkum Purohit जी : जी काल्पनिक तो नही कहा जा सकता  पंरतु हमने इसे नही देखा तो हम इसकी कल्पना ही कर सकते हैं ।परंतु कुछ तो वास्तविकता है जो मान्यता में प्रचलित है,इस घटना को  देखे तो हम वास्तविकता  को नकार  भी नही सकते।

आ. Jaishree Panda जी : अर्द्ध यामिनी~
सरोवर पे खड़ा
महिषासुर
ईस पर काफी चर्चा के बाद प्रभात जी की समीक्षा के पश्चात सुधारा गया

प्रदोष अंत~
सरोवर पे खड़ा
महिषासुर
किया गया।पर ये भी कुछ उचित नही लगा।

इसके पश्चात 7 अगस्त को फिर चर्चा हुई और ईसे सर्वसम्मति से फिर सुधारकर 
प्रदोष अंत~
तालाब में विशाल
अज्ञात जीव

किया गया।
ईसमें अभी भी प्रदोष काल खटक रहा है।
इसलिये आ.जगत सर क्या इसे ऐसा करें

विशालकाय
जीव तालाब मध्य~
ग्रीष्म की रात


करें क्या? 

रात करें तो सुर्यास्त से लेकर सुर्योदय का कोई भी समय हो सकता है।इससे भ्रम दूर हो जायेगा।व महिषासुर वाली समस्या भी नहीं रहेगी।

सादर।जिज्ञासा मात्र

आ. Jagat Naresh जी : ये भी उचित 👌👌

इसे...

तालाब मध्य
विशालकाय जीव

👆ऐसे करना चाहिए मेरे विचार से 

आ. Jaishree Panda जी : आज मैं आप लोगों को जो बताने  जा रही हूं वह सत्य  व आश्चर्यजनक घटना है, परन्तु आज के वैज्ञानिक युग में यह बात   विश्वास से परे है परन्तु सत्य है।‌‌।      
            आज से लगभग 8-10 साल पहले की बात है जब भैया महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक के एक छोटे से गांव "कनकेवा" में रहते थे। जेठ का महीना था।भयंकर गर्मी थी शाम को नहाए बिना रहा नहीं जा रहा था। एक दिन भैया किसी काम की वजह से शाम को तलाब नहाने नहीं जा सके और रात हो गई।करीब 9-9:30 बज गए। और गर्मी की वजह से बिना नहाए रहा भी नहीं जा रहा था इसलिए वे तलाब की ओर चल पड़े।तभी रास्ते में उन्हें एक-दो वयोवृद्ध जो बाहर बैठे थे उन्होंने मना किया कि इतनी रात को तलाब न जाएं। पर भैया को भूत-प्रेत पर विश्वास नहीं था इसलिए वे नहीं माने।जब वो तलाब पहुंचे तब वहां एक-दो लोग पहले से मौजूद थे।जो नहा चुके थे और वापस आ गए । फिर भैया तलाब में अकेले हो गए । फिर हुआ यूं कि उन्हें दूर तालाब के बीचों बीच एक बड़ा जानवर सा दिखाई दिया। वो फिर भी नहीं  डरे और नहाने काउपक्रम करने  लगे फिर क्या था बड़ा सा जानवर तुरंत उनके पास आकर खड़ा हो गया और अचानक ही उनके मुंह से एक डरावनी चीख निकल गई। और वो बिना नहाए ही वापस आ गए।दूसरे दिन जैसे ही यह बात गांव वालों को पता चली सबने कहा कि हम आपको इसलिए रात को जाने से मना कर रहे थे । तालाब में महिषासुर रहता है।  ‌‌

तालाब मध्य
विशालकाय जीव~
ग्रीष्म की रात

जयश्री पंडा

       उपरोक्त चर्चाओं से हमें पता चलता है कि जब कोई आपबीती प्रत्यक्ष हो तो उसे कभी हम नकार नहीं सकते। हाँ जिसके साथ ऐसी घटना न घट जाए तब तक उसके लिए केवल काल्पनिक है। ऐसे में हम किसी के साथ घटी घटना को लेकर कोई सृजन करें तो क्या वह काल्पनिक होगा या फिर यथार्थ ? 
      यह अब तक अनसुलझा है, इस तारतम्य आपके विचार आमंत्रित हैं। कृपया उचित मार्गदर्शन करें...

प्रमुख संचालक
हाइकु विश्वविद्यालय

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