डाक्टर नर्स पर
पत्थर वार
निधि सिंघल
आदरणीया निधि जी की यह हाइकु आह! के पल समेटे हुए वर्तमान परिपेक्ष्य को प्रदर्शित करने वाली बहुत ही मार्मिक कृति है।
*लाकडाउन* यह प्रथम बिंब पूरी रचना का सार है जिससे हम जान सकते है कि आज पूरा विश्व *कोरोना* नामक महामारी से गंभीर संकट से जूझ रहा है और लाकडाउन नामक अस्त्र ही हमारा सुरक्षा कवच साबित हो रहा है ।अन्य कोई उपाय जीवन रक्षा नही कर सकती ।
डाक्टर नर्स पर
पत्थर वार
दूसरा बिंबआह! के पल से भरपूर है ।जिसमें अपनी जान की परवाह न कर हमारी जान बचाने वाले देव तुल्य डाक्टर, नर्स ,पुलिस पर भी हिंसात्मक व्यवहार किया जा रहा है उन्हे नुकसान पहुंचा कर अमानवीय होने का परिचय कुछ बुद्धिहीन लोगों द्वारा दिया जा रहा है। इसे ही विनाश काले विपरीत बुद्धि कहा जाता है। हमे इस विपदा की घड़ी मे तो ऐसे लोगों का सम्मान और उत्साह बढाकर नतमस्तक होना चाहिए जो दिन रात केवल हमारी सुरक्षा और बचाव के लिए अपने जीवन और जीवन से बढ़कर अपने परिवार से भी दूर हैं ।क्या इससे भी कोई बड़ा काम और कुछ हो सकता है ।हम तो अपने परिवार सहित लाकडाउन है पर उनकी सुरक्षा कौन करेगा जो इस विपदा में हमारे जीवनदाता है ।
दूसरी समीक्षा...
मिट्टी का लोंधा --
तल की छबाई में
चूड़ी के फूल
नरेश जगत
आदरणीय नरेश जगत जी की यह कृति ग्राम्य परिवेश को उकेरने वाली वाह! के पल से भरपूर एक उत्कृष्ट रचना है ।
*माटी का लोंधा*
प्रथम बिंब से ही हमें गीला मिट्टी का लोंधा दिखाई दे रहा है,जो कि गाँव में घरों को बनाने का काम आता है।क्योंकि गाँव के घर मिट्टी से बने होते हैं
तल की छबाई में
चूड़ी के फूल
दूसरा बिंब वाह से भरपूर है जो यह दिखा रहा है कि गाँव में घरों को मिट्टी से छबाई करतें हैं ।मिट्टी को हाथों से चिकना करके फिर अपने घरों को चिकना और सुन्दर बनाया जाता है।इतना सुन्दर कि जैसे आजकल के मार्बल और टाइल्स भी फीके पड़ जाएं ।शायद ये मार्बल, टाइल्स भी गाँव के घरों की मिट्टी की चिकनाई देख कर ही किसी को सूझ गया हो।गाँव में घरों को मिट्टी से छबाई करने के बाद उसकी सुन्दरता को चार चाँद लगाने के लिए किनारों पर टूटी चूडियों को फूलों की आकृति देकर और अधिक आकर्षक बनाया जाता है,मानो किसी बहुत ही बड़े कलाकार ने अपनी कलाकृति उकेरी हो।और प्रायः सभी अपने घरों को इसी तरह सजाती हैं ।जो कि बिना लागत और बिना आडबंर के बहुत ही सुन्दर और सहज ढंग से की जाती है। वास्तव में गाँव का परिवेश बहुत ही सौम्य, सहज,सुन्दर, शांत और आनंदपूर्ण होता है।
समीक्षक
कुमकुम पुरोहित
19/05/2020
हाइकु विश्वविद्यालय