Wednesday 5 February 2020

हाइकु समीक्षा...

अंतिम मार्च~
अंकपत्रक थामे
झूलता शव ।

*अनंत पुरोहित 'अनंत'*


प्रिय अनंत,
          बहुत ही अच्छा हाइकु है।हाइकु के मानकों को पूरा करता है ।इसमें आह के पल का वर्णन है । समाज के लिए संदेश परक है । साहित्य में यदि कोई संदेश न हो तो वह उत्कृष्ट साहित्य नहीं हो सकता ।इस दृष्टिकोंण से बेशक उत्तम सहित्य है जिसमें अभिभावक,विद्यार्थी और शिक्षक के लिए संदेश है ।
दूसरा बिम्ब बहुत ही मार्मिक है । परीक्षा में अपेक्षित सफलता न मिलने पर एक किशोर/युवा ने आत्महत्या कर ली है। यहां यह सोचने की आवश्यकता है कि क्यो आत्महत्या की- असफलता से क्षुब्ध होकर या सफलता-असफलता के प्रति समाज का दृष्टिकोण,अभिभावकों की महत्वाकांक्षा एवं व्यवहार,हमारी शिक्षा व्यवस्था,शिक्षकों की निदेशन एवं मनो सामाजिक, संवेगात्मक विषयों का ज्ञान या  छात्रों का मनोवैज्ञानिक विकास आदि बहुत कारण हो सकते हैं,चाहे कारण कुछ भी हो आत्महत्या समाज के लिए अभिशाप है।किशोरावस्था में आत्महत्या और भी दुःखदायक है। इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए
सबको अपने स्तर के कारण पर गौर करें और आवश्यक बदलाव करे तो इस बुराई को कम अवश्य किया जा सकता है।

समीक्षक
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित

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