Thursday 23 April 2020

मनोरमा जैन "पाखी" जी के शब्दों से आइए हाइगा को समझें...

*हाइगा*
23/04/2020
मनोरमा जैन पाखी 
         हाइकु की तरह ही हाइगा भी जापानी कृति है। इसका अपना अलग अस्तित्व है।17वर्णों में जहाँ हाइकु कैमरे की नज़र से दृश्य को देखता है वहीं हाइगा 17वर्णों में चित्र या दृश्य को वर्णित करता है। प्राकृतिक बिंब हाइगा में भी आवश्यक है। 
हाइगा दो शब्दों से मिलकर बना है हाइ+गा अर्थात् हाई --चित्रकारी या पेंटिंग,गा--कविता।
मूलतः हाइगा को हम चित्र कविता कह सकते हैं।
हाइगा काप्रारंभ 17वीं शताब्दी से माना जाता है।तब हाइगा रंग और ब्रुश से बनाया जाता था फिर उसमें कविता लिखी जाती थी।
आज कालांतर में डिजीटल फोटोग्राफी जैसी आधुनिक विधा से हाइगा लिखा जा रहा है।
यद्यपि भारत में जापानी विधाओं को लेकर विरोध है ।कुछ इसे सृजन नहीं मानते और कुछ सिरे से नकारते हैं कि यह विदेशी है ,उस वक्त भूल जाते हैं कि  विदेशी वस्त्र,श्रृँगार प्रसाधन, खाद्य पदार्थ ,मोबाइल ,पेन आदि बहुत सारा सामान विदेशों का उपयोग करते हैं।तब वह विदेशी नहीं लगता?साहित्य विदेशी !!
   तमाम विरोध के बावजूद कुछ रचनाकार हाइकु,हाइगा,हाइबन आदि  जापानी विधाओं पर भारत में काम कर रहे हैं। 
जगत नरेश जी के अनुसार , *चित्र में क्या है उसे बताना नहीं,उसमें क्या हुआ होगा कि ऐसा चित्र बना ?उसका वर्णन करना ही हाइगा है।*
       हाइगा में स्वयं को अलग रख कर चित्र पर गहन बिंब को परखना होता है।प्रतीकात्मक भावनाएँ अमान्य होती हैं।हाइकु की तरह ही एक प्राकृतिक बिंब अनिवार्य होता है।बिना चित्र के हाइगा मान्य नहीं।
हाइगा से संबंधित सामान्य नियम आद. जगत नरेश जी के अनुसार  इस प्रकार हैं--
हाइगा :- 5,7,5 के तीन पंक्तियों में और दो बिम्बों में की जाने वाली अभिव्यक्ति, जिसमें किसी विशेष पेण्टिंग की व्याख्या करती हो और वह लेख पेण्टिंग में ही हो वह हाइगा कहलाती है। इसमें हाइकु के नियम क्रमांक 6 के मानवीकरण के अलावा सभी नियम लागु होते हैं। 

1. दो वाक्य, दो स्पष्ट बिम्ब हो।
2. किसी एक बिम्ब में प्राकृतिक का होना अनिवार्य है।
3. दो वाक्य, 5 में विषय और 12 में बिम्ब वर्णन हो सकता है।
4. दो वाक्य, विरोधाभास भी हो सकते हैं।
5. स्पष्ट तुलनात्मक न हो।
6. कल्पना व मानवीयकरण न हो ।
7. वर्तमान काल पर हो।
8. एक पल की अनुकृति, फोटोक्लिक हो।
9. कटमार्क (दो वाक्यों का विभाजन) चिन्ह हो।
10. दो वाक्य ऐसे रचे जाएँ जो एक दूसरे के पूरक न होकर कारण और फल न बने।
11. रचना में बिम्ब या शब्दों का दोहराव न हो।
12. तुकबंदी से बचें।
13. 5 वाले हिस्से में क्रिया/क्रियापद और विशेषण न हो।
14. 12 वाले हिस्से में एक वाक्य हो।
15. बिना बिम्ब के केवल वर्तनी न हो।
16. पंक्तियाँ स्वतंत्र न हों।
17. विधा प्रकृति मूलक है, किसी धर्म या व्यक्ति विशेष न हो। 

*मेरे द्वारा सृजित हाइगा...* 

समीक्षा आद. जगत नरेश जी द्वारा 
*सुंदर अनुकृति आदरणीया पाखी जी 👌👌 वास्तव में वर्षा वृक्षों पर ही निर्भर है। आपके इस सदृश्य हाइगा में बेहतरीन संदेशात्मक मर्म छुपे हुए हैं।*
    *एक तो बारिश का अंतिम चरण दिखाई पड़ रहा है और लगता है कि कुछ बूँदें अब भी टपक रहे हैं और वो बूँदें धरातल नहीं पहुँच पा रहे हैं।*
     *दूसरा यह कि बारिश वृक्षों पर ही निर्भर होता है।*
    *तीसरा यह कि वर्षा के बाद बूँदें वन में गीले स्वरुप ठहरी हुई हैं।*

मनोरमा जैन पाखी

3 comments:

  1. –अगर चित्र से हाइकु अलग रखा जाए तो क्या हाइकु दिशानुरूप होगा ?

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  2. –अगर चित्र से हाइकु अलग रखा जाए तो क्या हाइकु दिशानुरूप होगा ?

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  3. सुंदर व्याख्या, हार्दिक बधाई��������

    ReplyDelete

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