Friday 17 January 2020

हाइकु के प्रति आ. अभिलाषा जी के शब्द...

          हाइकु जापानी छंद विधा है।यह एक पल की अनुकृति या फोटोक्लिक में पाया जाता है। इसमें मात्र सत्रह वर्णों में हमें दृश्य का चित्रण करना होता है।जिसे हमने देखा या अनुभूत किया है।जिसे पढ़ते हीआह' या 'वाह'का भाव मन में उठे।हाइकु पूर्ण रूप से बिंबआधारित रचना है। इसमें दृश्य बिंब का प्रयोग अनिवार्य रूप से होना चाहिए।यह पूर्णतः प्रकृति मूलक हो।

        प्रकृति मूलक से तात्पर्य-प्रकृति द्वारा निर्मित जिसे प्रकृति ने बनाया है,जैसे-   तारे,सूर्य,चंद्र,पर्वत ,पक्षी ,आकाश,पृथ्वी,वृक्ष,पुष्प,जीव-जंतु इत्यादि।

         हाइकु में दो बिंब होते हैं और वे एक पूर्ण दृश्य का निर्माण करते हैं।इस प्रकार एक बिंब पाँच
वर्ण का और दूसरा बारह वर्ण का होता है।जैसे-

१.हल्दी की रस्म~

२.विधवा के हाथ में लाल चुनर।

         यहाँ पर दो बिंब है। एक बिंब पाँच वर्ण का है, "हल्दी की रस्म" एक विशेष समय सूचक बिम्ब है जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है और साथ ही हल्दी प्रकृति प्रदत्त है। दूसरा बिंब बारह वर्ण का है"विधवा के हाथ में लाल चूनर"ये दोनों बिंब अलग हैं, लेकिन जब इन्हें साथ में रखा जाता है तो ये भरपूर 'आह' के पल दिखातें हैं।

हल्दी की रस्म~
विधवा के हाथ में
लाल चुनर।

अब पाठक का इस हाइकु पर अपना दृष्टिकोण हो सकता है।
'हल्दी की रस्म' विवाह कार्य से संबंधित है ,विधवा कौन है?कोई भी परिवार की स्त्री या जिसका विवाह हो रहा है
वो भी।अगर परिवार की स्त्री है तो निस्संदेह वह लाल चुनर में अपने वैवाहिक जीवन का स्मरण कर रही है।अगर विधवा का पुनर्विवाह हो रहा है और उसके हाथ में
लाल चुनर है तो निस्संदेह 'वाह' के पल होंगे।एक कुप्रथा का अंत दिखाया जा रहा है और हो सकता है कि विधवा घर की कोई स्त्री हो ,जो दुल्हन को लाल चुनर भेंट कर रही हो,तो यहाँ भी एक कुप्रथा का अंत है जिसमें शुभ कार्यों में विधवा को त्याज्य माना जाता है।इस हाइकु में पाठक अपना अर्थ ग्रहण करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। अतः आह और वाह के पल भरपूर,एक पल की अनुकृति है यह हाइकु।
          तुलना व मानवीकरण का प्रयोग नहीं है,कल्पनानहीं है।अतः हाइकु की रचना में एक ठोस प्राकृतिक बिंब जैसे-

भोर लालिमा
निर्जन गली
पूर्व मध्याह्न
रजनीगंधा
ईख के खेत ,
इत्यादि ऐसे बिंबअनिवार्य रूप से होना चाहिए और दूसरा बारह वर्णों का बिंब जो पूर्ण वाक्य हो,जिसमें शब्दों का दोहराव न हो जिसमें प्रथम बिंब के सौंदर्य को स्पष्ट करने की क्षमता हो लेकिन कारण-फल न हो ।वह पाँच- सात-पाँच के क्रम में विभक्त होने पर भी एकपल की या क्षण की अनुकृति लगे। जिसमें रचनाकार स्वयं कुछ न कहकर बस एक दृश्य निर्मित करे, जैसे-

द्वार पे ईख~
आँगन में चौक पे
सिंघाड़ा-कंद।

         इसमें रचनाकार ने स्वयं कुछ न कहकर दृश्य निर्मित किया है।जो एक पल की अनुकृति के साथ एक परंपरा का चित्रण कर रहा है। इस प्रकार हाइकु रचना गहन चिंतन मनन की विधा है।एक वाक्य को तोड़ कर रख देना हाइकु नहीं।शब्द-सीमा की प्रतिबद्धता के कारण इस विधा को अच्छी तरह सोच-विचार कर,नियमों काअवलोकन करके ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए इसमें कटमार्क का अपना विशेष स्थान है,जहाँ यह ठोस बिंब को दूसरे बिंब से अलग करता है , वहीं दूसरे बिंब के साथ प्रथम बिंब के सौंदर्य को स्पष्ट करता है।यह बारह वर्णों के बिंब के साथ भी जुड़ सकता है और पांच वाले के साथ भी।

पत्तों से ढका
अंगाकार तवे में~
धन्नी सुगंध।
(आ.जगत नरेश)
के इस हाइकु से इसे आसानी से समझा जा सकता है।उन्होंने इस हाइकु में प्राकृतिक बिंब के सार्थक प्रयोग के साथ एक पल की अनुकृति को हमारे समक्ष उपस्थित किया।मात्र सत्रह वर्णों में उन्होंने कितना सुंदर दृश्य
उपस्थित किया है।भरपूर वाह के पल है इसमें। अतः हम कह सकते हैं कि श्रेष्ठ हाइकु गागर में सागर जैसा होता है जो पाठक को सोचने पर विवश करता है।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

13 comments:

  1. बहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक लेख लिखा है अभिलाषा जी ...उदाहरण और स्पस्टीकरण भी लाजवाब 👌👌👌 बहुत बहुत शुभकामनाएं 💐💐💐💐 इसी तरह हम सब का मार्गदर्शन करती रहें ताकि हाइकु जैसी कठिन विधा को समझने में आसानी हो 🙏🙏🙏

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    1. सहृदय आभार सखी सादर

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  2. हाइकु की गहनता से परिचित कराने के लिए आदरणीय जगत सर, आदरणीय विज्ञात सर, आदरणीया रितु जी सखी नीतू एवं सभी साथियों का हृदय से आभार 🙏🌷
    अभी भी हाइकु की गहनता को पूर्ण से समझना शेष है।
    जितना मुझ अल्पज्ञ को समझ आया , मैंने चित्रित करने का प्रयास किया है।🙏🌷

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  3. बहुत ही सारगर्भित, ज्ञानवर्धक लेख...
    लाजवाब उदाहरणों के साथ
    वाह!!!

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    1. सहृदय आभार सखी सादर

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  4. बहुत ही सरल शब्दों में हाइकु को समझाता हुआ एक उम्दा लेख 👌
    आपका यह लेख हाइकु सीखने वालों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। 🙏

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    1. सहृदय आभार अनंत जी

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  5. बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख लिखा दी 👌👌👌👌

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  6. बेहतरीन.. लाजवाब एवं ज्ञानवर्धक लेख अभिलाषा जी ।

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    1. सहृदय आभार सखी सादर

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  7. एक बहुत ही सुन्दर,सारगर्भित लेख।नवांकुरों के लिए सीखने में सहायक👌👌👌👌👌

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  8. अभिलाषा जी, हाइकू छंद पर बहुत ही ज्ञान-वर्धक और रोचक जानकारी !
    आपके द्वारा दिए गए उदाहरणों में मुझे पहला वाला हाइकू बहुत अच्छा लगा लेकिन बाक़ी ने प्रभावित नहीं किया.

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  9. अति सुंदर और सरल भाषा में उत्तम जानकारी

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