Sunday 2 February 2020

मेरी हाइकु की समीक्षाएँ...

[02/02, 10:55 AM] आ. Anant Purohit: जी की समीक्षा...

करवा चौथ~
विधवा के नैनों से
टपकी बूँद
हाइकुकार - अभिलाषा चौहान 'अभि'

*समीक्षा*-

        प्रथम बिंब *करवा चौथ* है, जो कि त्यौहार एवं प्रथा परंपराओं के अंतर्गत मान्य है। इसका कारण यह है कि प्रथा परंपरा एवं त्यौहार स्वयं में एक ऋतु या विशेष दिन को समेटे हुए होती हैं जो कि हाइकु में मान्य हैं और ऐसा हाइकु जिसमें ऋतुसूचक शब्द होता है वह *कीगो* कहलाता है।

         दूसरा बिंब *विधवा के नैनों से टपकी बूँद* भरपूर आह्ह के पलों को समेटी हुई एक पल की अनुकृति है। ध्यान देने योग्य यह है कि एक भी अनावश्यक वर्ण नहीं है पूरे हाइकु में। यहाँ यदि *बूँद* के स्थान पर आँसू किया जाता तो निश्चित ही यह दोहराव की श्रेणी में आता।
          दोनों बिंब का अपना स्वतंत्र अस्तित्व भी है और जब दोनों को आपस में मिलाकर विश्लेषण करें तो ऐसा लगता है कि करवा चौथ, जो कि सधवा स्त्रियों का पर्व है, में पति की याद आ रही है और विधवा की आँखों से आँसू टपक रहे हैं। इस भावना को बिना भावसूचक शब्दों के केवल दृश्य बिंब के माध्यम से दर्शाता हुआ एक *सटीक हाइकु* ।

[02/02, 3:31 PM] आ. Anupama Agrawal: जी की समीक्षा...

करवा चौथ~
विधवा के नैनों से
टपकी बूँद

        आदरणीया अभिलाषा जी की ये कृति अपने आप में बहुत कुछ कहती है।
इसमें पहला बिंब उन्होंने लिया है...
करवा चौथ~
जो भारतीय सुहागिनों के लिये एक बहुत बड़ा त्यौहार होता है। इस दिन सभी सुहागिनें सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं।
          हालाँकि धार्मिक बिंब हाइकु में मान्य नहीं है पर यह एक समयसूचक शब्द है अतः ये धार्मिक न होकर 'कीगो' की श्रेणी में आता है।
     अब दूसरा बिंब है----
विधवा के नैनों से टपकी बूँद----
       इस बिंब से ये स्पष्ट है कि सुहागिन स्त्रियों के इस पावन पर्व पर एक विधवा नारी अपने दिवंगत पति को याद कर रही है और उसकी याद में उसके नेत्रों से अश्रु बूँद टपक गयी। ये अत्यंत भावुक कर देने वाला क्षण है।परन्तु इस पल की तस्वीर का खाका लेखिका ने अपने शब्दों के माध्यम से पाठक के सामने खींच दिया। बिना देखे पाठक ने इस दृश्य को लेखिका की निगाहों से देख लिया। जबकि किसी भी भावसूचक विशेषण का कृति में प्रयोग नहीं किया गया है। इस कृति में आँख से आँसू जैसे किसी भी शब्द का प्रयोग न होने से दोहराव की स्थिति भी नहीं बनती है।
यही एक उत्कृष्ट हाइकु की विशेषता है।

[02/02, 3:46 PM] आ. Abhilasha: जी की समीक्षा...

करवाचौथ~
विधवा के नैनों से
टपकी बूँद।

         इस हाइकु के चयन की प्रक्रिया बड़ी कठिन थी। इस विषय को लेकर मैंने करीबन दस या बारह हाइकु बनाये थे,तब कहीं यह एक चयन हुआ।उस समय करवाचौथ का पर्व पास में था।मन में रह-रह कर बस एक ही प्रश्न उठता था कि जो सधवा अभी तक करवाचौथ का पर्व खुशी-खुशी मना रही थी। उसकी मनोदशा क्या होगी यदि वह विधवा हो जाए और पर्व पास में हो।यह निस्संदेह उसके लिए असहनीय पीड़ादायक समय होता होगा।इस एक आँसू की बूँद में उसकी अथाह पीड़ा को मैंने समेटने का प्रयास किया है। अतीत की स्मृतियाँ और वर्तमान की स्थितियों को चित्रित करने का प्रयास है।उसके लिए पति की स्मृति, वैधव्य का एकाकीपन,समाज की उपेक्षा।शुभ कार्यों में उसकी वर्जना इस आँसू की बूँद में समाई है।एक ओर वह अपने दुख से लड़ रही है, वहीं हिंदू समाज में विधवा नारियों का ऐसे समय पर शुभ कार्यों से दूर रहने की असह्य प्रताड़ना उसकी पीड़ा को दोगुना कर रही है।  
         आप सबने मेरी इस कृति को सराहा और मेरे अंदर उठती भावनाओं को शब्द दिया, कृति सार्थक हुई आप सभी का आभार।

हाइकुकार
अभिलाषा चौहान
हाइकु विश्वविद्यालय

4 comments:

  1. बहुत शानदार कृति👌👌👌👌

    ReplyDelete
  2. बहुत ही शानदार

    उत्कृष्ट रचना के लिए शुभकामनाएँ और आपकी लेखनी को नमन

    ReplyDelete
  3. हृदयस्पर्शी भावों से सम्पन्न लाजवाब समीक्षा 👌👌👌👌और मर्मस्पर्शी हाइकु ।

    ReplyDelete
  4. बहुत ही लाजवाब कृति एवं शानदार समीक्षा
    वाह!!!

    ReplyDelete

  https://www.blogger.com/profile/17801488357188516094 Blogger 2023-01-14T07:17:12.311-08:00 <?xml version="1.0" encoding="...