सर्वप्रथम मैं आप सभी को कुंडलिया छंद के माध्यम से हाइकु विधा को जो अब तक मैं समझ पाई हूं उसे आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास कर रही हूं।
(1)
लिखने में हाइकु विधा , लगे बहुत आसान।
पाँच सात वा पाँच में , दो बिम्बों को जान।।
दो बिम्बों को जान , सदा फोटो ही लेना।
रखना योजक चिन्ह , कल्पना लिख मत देना।।
मानवीकरण त्याग , श्रेष्ठ रचना दिखने में
निखरे उत्तम चित्र , बने हाइकु लिखने में।।
(2)
ऐसे लगता मत बता , बात सुनो तुम मित्र।
कल परसो का हो नही , दिखा अभी का चित्र।।
दिखा अभी का चित्र , सरल शब्दों में कहना।
रहे प्राकृतिक दृश्य , बचे तुकबंदी रहना।
सुवासिता दे ध्यान , लगे सब यर्थाथ जैसे।
अलंकार से दूर , लिखो हाइकु तुम ऐसे।।
*हाइकु मेरी नजर में*-:
लोग कहते हैं हाइकु जापानी विधा है पर मैं हाइकु के बारे में कुछ अलग ही विचारधारा रखती हूं कि हाइकु हिंदी साहित्य में सबसे छोटी विधा है और हिंदी साहित्य की एक छोटी विधा समझकर मैने इसे लिखा है । लिखते समय मुझे एक बार भी ऐसा आभास नही हुआ की मैने किसी विदेशी विधा को लिखा है। शायद यही कारण है कि मुझे हाइकु लिखने में आनंद की अनुभूति हुई और भारतीय हिंदी साहित्य की इस विधा के आकर्षण केन्द्र दो बिंब रहें हैं। जैसा की पहले भी दोहा , कहमुकरी आदि अनेक छंदो में अलंकार मानवीकरण के साथ बिंब लिखती रही हूँ। परन्तु हाइकु में कल्पना मानवीकरण और न होते हुए दो दृश्य, ठोस बिंब लिखे जाते हैं। इन ठोस बिंबों के आकर्षण ने मुझे अपनी ओर आकर्षित किया।
*हाइकु के प्रति मेरी समझ*-:
प्रारंभ में मैं केवल इतना ही जानती थी कि हाइकु में पाँच सात पाँच तीन पंक्ति में १७वर्ण होते हैं ।बस मुझे इतना ही पता था
*मैं निम्न लिखित बातों से अंजान थी*
1. हाइकु में दो बिंब होते है
2. बिंब कैसे बनाए जाते हैं
3.प्राकृतिक बिंब का होना अनिवार्य है
4.वर्तमान दृश्य चाहिए
5.एक पल की फोटो क्लिक हो
6. कटमार्क( ~) का प्रयोग हो
7.12 में एक वाक्य होता है
8. कारण दोष नही होना चाहिए
9. तुकांत दोष नही होना चाहिए
ये सब मुझे नही पता था ।
*हाइकु की सुगंध व्हाट्सएप समूह में जुड़ने के बाद*-:
*आदरणीय संजय कौशिक विज्ञात* गुरुदेव जी के माध्यम से मुझे हाइकु व्हाट्सएप समूह *हाइकु की सुगंध* से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ तब पता चला कि इसमें हाइकु सत्रह (१७) अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ और तीसरी में ५ अक्षर रहते हैं। हाइकु लिखते समय यह देखें कि उसे सुनकर ऐसा लगे कि दृश्य उपस्थित हो गया है, बिंब स्पष्ट हो
कल्पना मानवीकरण से दूर वर्तमान काल पर हो जिसमें एक बिंब प्राकृतिक होना चाहिए।
*हाइकु कैसे लिखे*-:
हाइकु अनुभूति के चरम क्षण की कविता है अर्थात अनुभूति का यह चरम क्षण प्रत्येक हाइकु कवि का लक्ष्य होता है। इस क्षण की जो अनुगूँज हमारी चेतना में उभरती है उसे ही पाँच सात पाँच शब्दों में तीन पंक्तियाँ में उतार देना ही हाइकु है ।
अर्थात सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए गागर में सागर भर कर अपनी भावनाओं को व्यक्त करना ही हाइकु है। जिससे स्पष्ट चित्र उभरता है कि हम क्या दिखा रहे है।
*अक्षर कैसे गिना जाता है*
संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है, जैसे *‘रहस्य'* में तीन अक्षर हैं – *र-१, ह-१, स्य-१*) तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात एक ही वाक्य को ५,७,५ के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।
*आधा अक्षर*
हाइकु में आधा अक्षर गणना में नही लिया जाता है ।
*मेरी प्रथम हाइकु*
1.
*महुआ गंध ~*
*चौपाल पर बूढ़े*
*खिलखिलाये*
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
2.
*निशीथ काल ~*
*झुरमुट के बीच*
*बालिका शव*
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
*सहयोगी साथियों के सहयोग से*
निम्न लिखित सहयोगी साथियों के सहयोग से ही हाइकु लिख कर *हाइकु की सुगंध* में स्थान बना पाई हूँ ।
1.मुख्य मंच संचालक आदरणीय नरेश जगत जी
2.आदरणीया अनुराधा चौहान जी
4.आदरणीया अनुपमा अग्रवाल जी का विशेष योगदान रहा इन के सहयोग से ही बारीककियां और गहराई से समझा कर एक एक सभी रचना की गहराई अच्छे से समझ पाई जैसे छोटे बच्चे को वर्ण माला सिखाई जाती है वैसे ही हाइकु के नियमों को आदरणीया अनुपमा अग्रवाल जी ने स्मरण करवाया।
*एक कृति आदरणीय संजय कौशिक 'विज्ञात' जी की देखें*.....
*वृष्टि ओले की--*
*बजा माँ का चिमटा*
*उल्टे तव्वे पे।*
✍ संजय कौशिक ' विज्ञात '
कवि प्रकृति और समाज के किसी विलक्षणता को अपने शब्दों में पिरोकर अपनी भावनाओं को पाठक तक पहुँचाने का प्रयास करता है। जो देखता है उसे लिखता है, प्रथम बिम्ब...
*वृष्टि ओले की--*
यह एक मजबूत प्राकृतिक दृश्य बिम्ब है, जो हाइकु का आधार तत्व है। हाइकु में दो ऐसे बिम्ब चाहिए होते हैं जो प्रकृति की खूबसूरती, विडम्बना या किसी संदेश को लिखा जाए और विधिवत् प्रथम बिम्ब से घनिष्ठ सम्बंध भी रखता हो। इसलिए इससे सम्बंधित दूसरा बिम्ब...
*बजा माँ का चिमटा*
*उल्टे तवे पे।*
यह बिम्ब आंतरिक रुप से प्रथम बिम्ब से संबंधित है और साथ ही एक विधान भी, कि जब भी कोई मुसीबत आन पड़ती है तब "त्राही माँ त्राही माँ" होती है, इसी मर्म को इस दूसरे बिम्ब में ओले वृष्टि की वजह से प्राकृतिक आपदा को चित्रित करने का प्रयास किया गया है। तवे को उल्टा रखना भी परम्पराओं के अनुसार परिवार में मृत्यु का सूचक होता है, (पर भिन्न-भिन्न स्थान पर भिन्न-भिन्न परम्पराएं हो सकती हैं) जो आह के क्षण को दर्शाता है और साथ ही इस विधान का ज्ञानवर्धन भी कर रहा है। ज्ञातव्य है कि इस प्रक्रिया से ओले की वृष्टि थम जाती है। (या भयंकर छाए मेघ को सूचना देना की जन मानस के अपराध क्षम्य हैं वे मर रहे हैं) यह भी हो सकता है कि पाठक इसके तारतम्य अपनी मतानुसार अर्थ में भिन्नता रख सकते हैं, जो हाइकु को और भी मजबूती प्रदान करती है।
*एक कृति आदरणीय जगत नरेश जी की देखें*.....
*अंतिम ज्येष्ठ --*
*चतुर्भुज लहरें*
*सिंधु सतह।*
✍जगत नरेश
व्याख्या :- आप जब भी दो समुद्र के संगम में पहुँचेंगे और मौसम का बदलाव यानी खूब हवा चलने की स्थिति बनती हो तभी यह दृश्य संभव है। इसलिए प्रकृति के खास पल को दर्शाते हुए मैंने प्रथम बिम्ब अंतिम ज्येष्ठ लिया है, इन दिनों आषाढ़ और मानसून के आगमन का समय होता है जिससे चक्रावात या हवा का वेग अधिक होता है। जब हवा का वेग अधिक होता है तभी दोनों समुद्र में मजबूत लहरें उत्पन्न होते हैं और फिर संगम स्थल में यह चतुर्भुज लहरें चेस बोर्ड की तरह दिखाई देते हैं। यह प्रकृति की असामान्य और खूबसूरत घटना है जिसे दुनिया के दो या तीन जगह आपको देखने को मिलेंगे। एक खास जगह है फ्रांस के पश्चिमी तट जिसे हम आइले आँफ रे के नाम से जानते हैं। यहाँ इस दृश्य को देखकर सहज ही मुख से वाह निकल आती है। क्योंकि सामान्यतः हम आढ़ी, तिरछी, सीधी लहरें ही देखते हैं। यह एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जो हमेशा देखने को नहीं मिलता। यह जितनी खूबसूरत है उतनी खतरनाक भी है। इसमें जो कोई फँस जाता है निकलना नामुमकिन सा होता है। इसकी खूबसूरती देखकर लोग सेल्फी या फोटो लेने चले जाते हैं जिसके नीचले हिस्से में पानी की दमदार लहरों में फँसकर मिनटों में जान तक जाने की संभावना होती है।
अतः यहाँ हाइकु के विधिवत् खास प्राकृतिक दृश्य का चित्रण करने का प्रयास किया गया है, जो हाइकु का मूल विधान है। साथ ही ऐसी प्राकृतिक घटना को लिया गया है जो अविस्मरणीय वाह का पल है।
*एक कृति आदरणीया अनुपमा अग्रवाल जी की देखें*.....
*रबी फसल~*
*किसान के घर से*
*उठता धुआँ।*
✍अनुपमा अग्रवाल
रबी की फसल ~
ये एक ठोस प्राकृतिक बिंब है।रबी की फसल के नाम मात्र से ही जौ,चना, सरसों, गेहूँ और मसूर आदि की फसलों का दृश्य आँखों के सामने आ जाता है ।
किसान के घर से
उठता धुआँ
अब यदि इस दूसरे बिंब पर दृष्टिपात करें तो ये बहुत कुछ बयां करता सा प्रतीत होता है।
इसका एक भाव जो लिखते समय मेरे मन में था वो ये कि फसल की कटाई हुयी है।और अच्छी फसल के कारण किसान के घर में चूल्हा जल सका है।
ये एक भरपूर वाह का पल है जबकि अच्छी फसल होने की खुशी में एक किसान के घर में खुशियों के पल हैं।
वहीं दूसरी ओर पाठक अपने हिसाब से ये भाव भी निकाल सकता है कि किसी कारणवश कोई अनहोनी हो गयी है और संभवतः इसलिए ही किसान के घर से धुआँ उठ रहा है।ये एक भरपूर आह का पल होगा।
यही एक हाइकु की विशेषता है।
एक उत्कृष्ट हाइकु में आह या वाह के पल भरपूर होने चाहिए।
और हाइकु में लेखक प्रतिबद्ध है सिर्फ़ दृश्य बिंब लिखने के लिये, परन्तु पाठक स्वतंत्र है अपने हिसाब से अर्थ निकालने के लिए।
*अंत में*
इन सभी कलमकारों के सहयोग से ही आज मैं कलम की सुगंध परिवार से जुड़कर न केवल हाइकु विधा को लिख रही हूं बल्कि ऐसा महसूस कर रही हूं कि मैंने एक नई हाइकु विधा को सीखा है और नजदीक से जाना है अब मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि इस विधा के साथ मेरी मित्रता हो गई है मैं हाइकु को नहीं छोडूंगी हाइकु तो मुझे नहीं छोड़ेगी पर मैं भी हाइकु को कभी नहीं छोडूंगी।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर बस्तर (छत्तीसगढ़ )
सर्वप्रथम बहुत बहुत बधाई आदरणीया💐💐💐 सुन्दर कुड़लियोंऔर उदाहरण द्वारा आपने हाइकु विधा को बहुत ही अच्छी प्रकार से समझाया है जिससे नवांकुरों को अवश्य ही लाभ होगा..पुनः बधाई 🌷🌷
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
Deleteवाह हाइकु पर कुण्डलियाँ!! बहुत-बहुत बधाई आदरणीया आपने बहुत ही सरल तरीके से हाइकु विधा पर बेहद शानदार लेख लिखा है।आपने हाइकु की बहुत सुंदर समीक्षा की है बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख लिखा।हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
ReplyDeleteआभार दीदी जी
Deleteबहुत खूब आदरणीया👌👌🌷🙏🙏
ReplyDeleteशुक्रिया दीदी जी
DeleteBahut sunder
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर,सटीक व सार्थक लेख लिखा है आपने आदरणीया 👌👌👌👌👌अत्यंत सहजता व सुगमता से आपने परिभाषित किया है हाइकु को।आपने कुंडलियां के माध्यम से बहुत ही सहजता से हाइकु के पूरे नियम संक्षेप में बता दिये।शानदार लेख👏👏👏👏👏👏👏👏
ReplyDeleteवाह!!हायकु पर आपने बहुत ही सुंदर कुंडलियाँ लिखी है ,संपूर्ण लेख हम जैसे नौसिखियों के लिए बहुत ही लाभदायक है । आपका हृदयतल से आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर व्याख्यान सुवासिता बहन
ReplyDeleteयथार्थ प्रिंट मिस्टेक है कुण्डलियाँ में ,संभव हो तो सुधार लें।