हाइगा :- 5,7,5 के तीन पंक्तियों में और दो बिम्बों में की जाने वाली अभिव्यक्ति, जिसमें किसी विशेष पेण्टिंग की व्याख्या हो और वह लेख पेण्टिंग में ही हो वह हाइगा कहलाती है। उदाहरण उपरोक्तानुसार है।
हाइकु :- 5,7,5 के तीन पंक्तियों में और दो बिम्बों में की जाने वाली अभिव्यक्ति, जो मानवीय संवेदनाओं का उल्लेख न करते हुए संवेदनशील का होना और प्राकृतिक का होना पाया जाए। ऐसा लेख हाइकु कहलाता है।
उदाहरण :-
गंगा का तट -
ग्रहण मोक्ष पर
वस्त्र के ढेर।
संजय कौशिक "विज्ञात"
सैर्न्यू :- 5,7,5 के तीन पंक्तियों में और दो बिम्बों में की जाने वाली अभिव्यक्ति, जिसमें धार्मिक या व्यक्ति विशेष और व्यंग्यात्मक श्रेणी की कृति पाए जाते हैं। ऐसा लेखन सैर्न्यू कहलाते हैं।
उदाहरण :-
हल्का भूकंप ~~
सब से आगे भागा
राज ज्योतिषी।
संजय सनन
डेस्क हाइकु :- 5,7,5 के तीन पंक्तियों में और दो बिम्ब में की जाने वाली अभिव्यक्ति जिसमें पूर्णतया काल्पनिक हो, ऐसी कृति डेस्क हाइकु कहलाती है।
कन्नौज इत्र...
डाकिए के थैले में
उसका खत।
संजय सनन
हाइबन :- एक ऐसा तथ्य जो यथार्थ हो और वह तथ्य प्राकृतिक न लग रहा हो तो उस तथ्य को स्पष्ट करते हुए डायरी की तरह उस तथ्य का वर्णन करके अंतिम में 5,7,5 के तीन पंक्तियों में और दो बिम्बों में की जाने वाली सार तत्व की अभिव्यक्ति हाइबन कहलाती है।
उदाहरण :-
आश्चर्य कर देने वाला बोलीविया का वह स्थान, जहाँ हजारों तालाब सूखकर मोटी नमक की परत जमी हुई है। यह परत दूर-दूर तक फैले होने के कारण इसका छोर एक नजर में दृष्टिगोचर नहीं हो पाता और पता नहीं चलता कि धरती कहाँ तक और आसमान कहाँ तक है। इस तरह दोनों का संगम इस तरह विलय हो जाकर आकाश का प्रतिबिम्ब शीशे की तरह इस नमक के परत में नजर आता है कि यहाँ पहुँचने पर ऐसा लगता है मानो हम आसमान में बादलों के साथ सैर कर रहे हों। जहाँ हम मंत्रमुग्ध होकर विचरण करते कब समय व्यतीत हो जाता है पता ही नहीं चलता। सारी दुनिया को भूलकर यहाँ खो जाना किसी जादुई से कम नहीं। जी करता है बस हम यहीं के होकर रह जायें। सचमुच प्रकृति का यह अद्भूत दृश्य कोई सपनों से कम नहीं। इस अकल्पनीय दृश्य को हम कैमरे में कैद करना कदाचित नहीं भूलेंगे। जहाँ हम पाते हैं...
नोन परत --
बादलों के बीच वो
सपरिवार ।
इनके साथ ही हमें बिम्ब और विभाग के अनुसार हाइकु के कुछ नियम फेर बदल हो सकते है। परंतु हाइकु के लिए यह नियम आवश्यक होता है। नियम...
1. दो वाक्य, दो स्पष्ट बिम्ब हो।
2. किसी एक बिम्ब में प्राकृतिक का होना अनिवार्य है।
3. दो वाक्य, 5 में विषय और 12 में बिम्ब वर्णन हो सकता है।
4. दो वाक्य, विरोधाभास भी हो सकते हैं।
5. स्पष्ट तुलनात्मक न हो।
6. कल्पना व मानवीयकरण न हो ।
7. वर्तमान काल पर हो।
8. एक पल की अनुकृति, फोटोक्लिक हो।
9. कटमार्क (दो वाक्यों का विभाजन) चिन्ह हो।
10. दो वाक्य ऐसे रचे जाएँ जो एक दूसरे के पूरक न होकर कारण और फल न बने।
11. रचना में बिम्ब या शब्दों का दोहराव न हो।
12. तुकबंदी से बचें।
13. 5 वाले हिस्से में क्रिया/क्रियापद और विशेषण न हो।
14. 12 वाले हिस्से में एक वाक्य हो।
15. बिना बिम्ब के केवल वर्तनी न हो।
16. पंक्तियाँ स्वतंत्र न हों।
17. विधा प्रकृति मूलक है, किसी धर्म या व्यक्ति विशेष न हो।
मुख्य संचालक
हाइकु विश्वविद्यालय
नरेश कुमार जगत "प्रज्ञ"
ज्ञानवर्धक लेख✍️✍️🌷🌷🙏🙏
ReplyDeleteज्ञानवर्धक लेख✍️✍️🌷🌷🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया दीपिका जी, जो कुछ मुझे प्राप्त है आप सबके साथ साझा करके इन विधाओं की मूलता को बनाये रखना ही उद्देश्य है 🙏🌷
ReplyDeleteबहुत सुंदर लेख ....ज्ञान वर्धक👌👌👌
ReplyDeleteआभार आदरणीया 🙏🌷
Deleteबहुत ही ज्ञानवर्धक लेख लिखा आपने आदरणीय👌👌
ReplyDeleteआभार आदरणीया 🙏🌷
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक कीचर्चा गुरुवार(०९-०४-२०२०) को 'क्या वतन से रिश्ता कुछ भी नहीं ?'( चर्चा अंक-३६६६) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
वाह्ह बहुत अच्छी पहल है यह... क्षमा करना हमारे यहाँ बार-बार परिवारिक बैठक में व्यस्त रहा इसलिए पटलों पर मीडिया पर ध्यान नहीं बटा पाया। नहीं तो मेरी उपस्थिति जरुर रही होती। अब बतायें वहाँ कैसी रही प्रतिक्रियायें 🙏🌷
Deleteमैं एक रोज आपके ब्लाग पर भ्रमण कर रहा था। बहुत खुशी हुई आपकी कृतियाँ पढ़कर और प्रतिनिधित्वता का अंश और साथ ही अच्छी प्रतिक्रियाएँ देखकर। आपके साहित्य प्रेम को सादर नमन् 🙏🌷
Deleteवाह आदरणीय बहुत ही अच्छी जानकारी साझा की आपने और वो भी उदाहरण के सुथ...जो हर विधा को अच्छी तरह से समझने में बहुत सहायक है👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteजी मेरा लक्ष्य है कि हाइकु का धूमिल रुप निखर कर लेखकों के सामने और मूल विधान से परिचित होकर सही राह पर कार्य हो। कोई दिग्भ्रमित न हो। सादर 💐💐💐
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब ...।
आभार आदरणीया 🙏🌷
Deleteबढ़िया जानकारी
ReplyDeleteआभार आदरणीय 🙏🌷
Deleteअच्छी जानकारी.
ReplyDeleteनयी रचना- एक भी दुकां नहीं थोड़े से कर्जे के लिए
आभार आदरणीय🙏🌷
Deleteबहुत सुंदर कृति आपकी आदरणीय, बधाई हो 💐💐💐
बहुत ही सुन्दर जानकारी आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी आदरणीय
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